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दहेज क्या है ?
दहेज का अर्थ है जो सम्पत्ति विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ़ से वर को दी जाती है, उसे दहेज़ कहते है । माता-पिता कन्या के विवाह के समय नव-विवाहित जोड़े को नई गृहस्थी शुरु करने मे थोड़ी सी मदद के रूप मे कन्या को देकर वर को समर्पित करते है किन्तु समय के साथ स्वेच्छा से कन्या को दिया जाने वाला धन धीरे-धीरे वर पक्ष का अधिकार बनने लगा और वर पक्ष के लोग तो वर्तमान समय में इसे अपना जन्मसिद्ध अधिकार ही मान बैठे हैं । जो समाज के लिये अभिशाप है ! दहेज प्रथा के कारण नारी सामाजिक तिरस्कार, तलाक और आत्महत्या की ओर बढ रही है । शिक्षा के प्रसार का भी दहेज की मनोवृति पर कोई अच्छा प्रभाव नही पड़ा है, क्योंकि जो युवक जितना अधिक शिक्षित होता है उस की दहेज की मांग भी उतनी ही अधिक होती है, एक तरह से वर की बोली लगाई जाती है । इस प्रथा से तंग आ कर नारीअपने जीवन को ही अभिशाप मानने लगी है । जो माता - पिता अपनी कन्या को दहेज़ देने में सक्षम नहीं है उन्हें भी दहेज़ के लिए मजबूर कर दिया जाता है, जैसे दहेज के अभाव में कन्या से विवाह करने से मना करना, या विवाह क बाद दहेज की कमियों को गिन गिन कर कन्या व उनके माता - पिता को बताना, सास और ननद का नई बहू को ताने मारना इत्यादि । कभी कभी तो दहेज प्रथा इतना क्रूर रूप धारण कर लेती है कि ससुराल वाले बहू को, या तो आत्म-हत्या करने पर मजबूर कर देते है, या उसे जहर देकर, या जलाकर, या गला घोंट कर मार देते हैं ।
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दहेज-प्रथा को रोकने के लिए सरकार द्वारा सख्त कानून बनाया गया है । इस कानून के अनुसार दहेज लेना और दहेज देना दोनों अपराध माने गए हैं । अपराध प्रमाणित होने पर सजा और जुर्माना दोनों भरना पड़ता है ।
दहेज़ के आभाव में की गयी साजिश व हत्याओं और अधिकारों से सम्बंधित कानून के लिए - Visit- https://advocateravikashyap.wordpress.com/